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ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के आश्वासन पर दुकानदारो का धरना हुआ समाप्त, दरगाह भूमि में सेटिंगगेटिंग कर लुटवाने व भ्रष्टाचार का विधायक पर शम्स ने लगया आरोप।
ब्यूरो रिपोर्ट: 24 पब्लिक न्यूज़।
कलियर।पिरान कलियर में तीन दिनों से चल रहा दुकानदारो का धरना प्रदर्शन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट दिवेश शाशनी के दिये आश्वासन नियाज पकाइ का टैंडर निरस्त कर दिया व जिलाधिकारी के आदेश पर प्रबंधक की दस दिनो में जांच ओर तब तक प्रबंधक सहित उनके परिवार का कोई व्यक्ति दरगाह दफ्तर में नही आने पर धरना समाप्त हो गया है।वही विधायक फुरकान अहमद ने कहा कि दरगाह प्रबंधक दरगाह के पैसो की बंदरबाट कर रही है व उर्स में हुए कई ठेको की जाँच हो और पैसा रिलीज न किया जाए।वही वक़्फ़ बोर्ड चेरमेन शादाब शम्स की कलियर में एंट्री होने के बाद लग रहा है कि दरगाह प्रबंधक की कुर्सी हिलना मुश्किल है।ओर शादाब शम्स का कहना है कि में इतना जरूर कहूंगा की हमने एक ईमानदार महिला को इस दरगाह का प्रबंधक बनाया है।ओर बहूत ईमानदारी के साथ रजिया मैडम ने अपनी परफॉर्मेंस दिखाइ है कि 17 करोड रुपये एक वर्ष की इनकम उन्होंने वक़्फ़ बोर्ड को जनरेट कर के दी है। और वह तभी हो पाया जब भ्रष्टाचार पर लगाम लगी और जो लोग भ्रष्टाचारी थे उनके पेट में दर्द होना तो सोभाविक था ओर अब उन्हें परेशानी तो होगी।अब जरा कैलकुलेशन कीजिए अगर 17 करोड रुपए एक वर्ष में आ रहे हैं तो 5 वर्षों में कितने आने चाहिए 85 करोड़।और पिछले 20 सालों से वक़्फ़ बोर्ड कांग्रेस के हाथ में था और फुरकान साहब के नेतृत्व में वक़्फ़ बोर्ड चल रहा था।तो मुझे लगता है जो 20 साल की राशि बैठती हैं 340 करोड रुपए तो कांग्रेस के नेताओं को बताना चाहिए की वो पैसा कहां है।हम चैनल के माध्यम से डिमांड करते हैं रिटर्न में भी मांग करूंगा प्रशासन से जो 20 सालों का लेखा जोखा स्वयं पत्र के माध्यम से जनता के सामने आना चाहिए कि 20 सालों से लूट का साम्राज्य किस-किस नेता के संरक्षण में चल रहा है।और जब लगा की लूट की दुकान बंद हो गई लगा कि भ्रष्टाचार नहीं करपा रहे तो लोग बाग फिर अलग-अलग तरह से सहारा लेते है।हम यह कह रहे हैं जो लोगों की जरूरत थी लोगों ने कहा यह नया टेंडर हो रहा है हम खाना बनाने वाले गरीब लोग हैं वह हमारे लोग हैं उनके लिए हमने कह दिया था टेंडर नही होगा और ये पांच दिन पहले कह दिया था कि यह टेंडर निरस्त होना चाहिए तो फिर धरना किस बात का जब यह कह दिया गया था। पॉलिटिकल लाइन है वैसे तो जनता के बीच में आना नहीं है क्योंकि चुनाव है तो भोलीभाली जनता को मिसगाइड करके धरना प्रदर्शन कराया।ओर धरना नहीं करेगा तो कैसे चलेगा जब इतना दर्द दरगाह का था तो जब मैला भूमि दरगाह की लूट रही थी तब धरना देते ना तब पता चलता कि माननीय विधायक जी को कितना दर्द दरगाह का है तब तो आप गायब थे तो जब दर्द नहीं दिख रहा था। मैला भूमि की सेटिंग गेटिंग करके कैसे सज्जादो के नाम जमीन चली गई अब यह बताइए कि आपकी सेटिंग सेटिंग थी या आपकी मैला भूमि में परसेंटेज थी उनके साथ में।तो बताइए तब आपने धरना क्यों नहीं दिया उनके खिलाफ मोन क्यू थे। में यह कहता हूं बताना पड़ेगा विधायक को जब आज भी जायरीन कलियर आते हैं रुड़की से लेकर कलियर तक लाइट की कोई व्यवस्था नहीं है जब धरने पर बैठते कि मेरे पास विधायक निधि है मुझे कोई लाइट नहीं लगाने दे रहा लेकिन जनता से सरोकार नहीं है। मुझे लगा कि आपकी इनकम पर चोट लगी है फाइनेंस पर चोट पड़ी है इसलिए दर्द हुआ है। इसलिए धरने पर बैठे किसी कीमत पर भी युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में हम यह ईमानदार सरकार चला रहे हैं किसी कीमत पर भी किसी भ्रष्टाचारी के सामने ना झुकेंगे ओर ना किसी भी तरह का समझौता किया जाएगा और अगर कोई समझे की धरना पॉलिटिक्स करके हमें झुका देगा या हमें डरा देगा वह किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगा। मैं कह रहा हूं अगर दर्द होता जो दरगाह की जमीन है पिरान कलियर शरीफ की जमीन खुलेआम लूटी है अगर विधायक को दर्द होता तो उस जमीन पर धरने पर बैठते तो वहां तो सेटिंग वेटिंग चल रही है भ्रष्टाचार्यों के साथ जॉली हमजोलियों का साथ है तो फिर कहां धरना याद आता है।वह तो गरीब लोगों को मोहरा बनाकर उन बिचारों को मिस गाइड करके उनका सहारा लेकर कर धरना पॉलिटिक्स कर रहे हैं। चिंता मत कीजिए एक-एक गलती का एक-एक बेईमानी का जवाब मिलेगा छोड़ेंगे नहीं जब तक दरगाह की जमीन को क्लियर नहीं करा लेंगे। और आपकी तमाम भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जांच नहीं करा लेंगे एक-एक जांच कराएंगे कि जितने भ्रष्टाचार कलियर में हुए है।यह कमल की बात है कि उल्टा चोर कोतवाल को भोंके कमाल ही कर दिया भाई।मैं तो कह रहा हूं ना सब लोग आईटीआई के माध्यम से मांग सकते हैं पिछली बार जर्मन हैंगर का जितना खर्च था उसके आधा खर्च मे हमने तीन जर्मन हैंगर ना लगाएं हो तो हम राजनीति से संन्यास देकर घर बैठेंगे हम ईमानदार लोग हैं हम दलाली नहीं हम ईमानदारी से काम करते हैं।और इसलिए बताने आया हूं जितने में पिछले टेंडर का हिसाब निकलवाइये ना पिछला टेंडर में कितने पैसे लगे हैं हमने उसकी आधी कीमत पर तीन जर्मन टेंडर लगवाएं यह तो फर्क बताता है कि हम कितनी ईमानदारी से काम करते हैं और हमारी प्रबंधक कितनी ईमानदारी से काम करती है।