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सज्जादानशीन ने दरगाह वक्फ बोर्ड पर प्रसासन को गुमराह करने का लगाया आरोप,तैयारियां आधी अधूरी उर्स में कुछ दिन शेष
ब्यूरो रिपोर्ट:24 पब्लिक न्यूज़
रुड़की। पिरान कलियर दरगाह साबिर पाक के सज्जादानशीन शाह अली मंज़र ऐजाज साबरी ने कलेक्ट्रेट सभागार में उर्स सम्बन्धित हुई बैठक में आमंत्रित नही किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई साथ ही वक्फ बोर्ड पर प्रसासन को गुमराह करने का आरोप लगाया।
दरगाह साबिर पाक का 753 वां सालाना उर्स 7-8 अक्टूबर से मेहंदी डोरी की रसम से शुरू होने जा रहा है। जिसकी तैयारी को लेकर प्रशासन ने सोमवार को कलेक्ट्रेट रोशनाबाद में बैठक आयोजित की गई थी। जिसमें दरगाह के सज्जादानशीन को आमंत्रित नहीं किया गया। सज्जादा नशीन शाह अली मंज़र एजाज साबरी ने अपने आवास पर प्रेस वार्ता कर वक़्फ बोर्ड पर प्रशासन को गुमराह करने का आरोप लगाया है। सज्जादा नशीन शाह अली मंज़र एजाज साबरी ने अपने आवास पर प्रेस वार्ता कर बताया कि सोमवार को उर्स/मेले से संबंधित जिला कलेक्ट्रेट सभागार में हुई बैठक में सज्जादा नशीन व उनके परिवार से किसी को शामिल नहीं किया गया। वक़्फ़ बोर्ड की लापरवाही के चलते ऐसा किया गया है। वक्फ बोर्ड के कुछ कर्मचारियों ने जिला प्रशासन को गुमराह किया है। जबकि उर्स से संबंधित सभी रस्मे सज्जादा नशीं और उसके परिवार के लोग अंजाम देते हैं। उर्स में देश विदेश के कोने कोने से शिरकत करने के लिए आने वाले अधिकतर ज़ायरीन व सूफ़ी सन्त उन्ही के संपर्क में रहते हैं ओर देश की बड़ी ख़ानक़ाहों के सज्जादगान व ख़ादिम और अकीदतमंद मिलकर सभी उर्स की रासुमात को सम्पन्न करते हैं। उर्स में आने वाले ज़ायरीन के लिए किया गाइड लाइन होगी उर्स में रस्मों को अदा करने के लिए किया दिशा निर्देश होंगे इस बात की उन्हें कोई जानकारी नही दी गई है।उन्होंने बताया कि जानकारी मिली है कि इस बार उर्स के दौरान लंगर में बनाए जाने वाले भोजन में कोई इज़ाफ़ा नही किया जाएगा और ना ही लंगर रस्म के अनुसार बांटा जाएगा। सज्जादानशीन ने इस विषय मे कड़ी नाराजगी का इज़हार करते हुए कहा कि लंगर में बन्ने वाले भोजन पर यहां आने वाले ज़ायरीन व सूफी संतों का पहला हक़ है उर्स में जैसे जैसे ज़ायरीन व सूफी संतों की संख्या बढ़ती है उसी के अनुसार लंगर में बनने वाले भोजन में भी इजाफा किया जाता है। अगर लंगर में बन्ने वाले भोजन या उसको बांटने की परम्परा को रोका जाता है तो यह अक़ीदतमन्दों व सूफी संतों के अधिकारों का पूरी तरह हनन होगा। और इसका खामयाजा दरगाह प्रसासन को भुगतना पड़ेगा। अगर वक़्फ़ बोर्ड यहां आने वाले सूफी संतों व ज़ायरीन के लिए उर्स के मौके पर लंगर में भोजन तक कि व्यवस्था नही कर सकता तो वह आधिकारिक रूप से इस व्यवस्था को करने से इनकार कर दे। दरगाह साबिर पाक का सज्जादानाशीन यह व्यवस्था करने में सक्षम है।उन्होंने साफतौर पर वक़्फ़ बोर्ड पर आरोप लगाते हुए कहा कि वक़्फ़ बोर्ड की भारी लापरवाही के चलते पूर्व से यहां आने वाले ज़ायरीन को भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है।पुरानी गंगनहर पर 154 वर्ष पुराने पुल को क्षतिग्रस्त हुए दो वर्ष से ज़ियादा समय बीत गया है नए पुल के निर्माण के नाम पर कलियर बस्ती से दरगाह शरीफ आने वाले सभी रास्ते बंद किये हुए हैं जिस कारण ज़ायरीन को पांच किलोमीटर का चक्कर काट कर दरगाह शरीफ आना पड़ रहा है अटे नाले टूटी सड़कें क्षेत्र में भारी गन्दगी दरगाह प्रसासन की व्यवस्थाओं की पोल खोल रही है।इस मौके पर शाह यावर साबरी,असद साबरी,शाह गाज़ी साबरी,हैदर हबीब साबरी नोमी मियां साबरी,यासिर एज़ाज़ साबरी,उसामा साबरी,मौजूद रहे।