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राजकीय महाविद्यालय में गोष्टी कार्यशाला का किया गया आयोजन,छात्र छात्राएं उज्जवल भविष्य के लिए भिन्न क्षेत्रों में करें प्रयास
ब्यूरो रिपोर्ट: 24 पब्लिक न्यूज़
सहारनपुर। राजकीय महाविद्यालय पुंवारका सहारनपुर में कैरियर काउंसलिंग एंड स्किल डेवलपमेंट विषय पर एक गोष्टी कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता एवं वक्ता के रूप में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. मनीष कुमार अग्रवाल रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर शरद कुमार भटनागर संयोजक द्वारा किया गया। इस गोष्टी का उद्देश्य महाविद्यालय के अध्ययनरत सभी छात्र छात्राएं चाहे वह बीए पाठ्यक्रम से हो या बीकॉम उनका मार्गदर्शन करना रहा। क्योंकि सभी अपने अपने पाठ्यक्रमों को पूरा करने के बाद अपने उज्जवल भविष्य के लिए भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में अपना कैरियर बनाने के लिए उद्देश्य से प्रयास करेंगे।
मुख्य वक्ता ने बताया कि केरियर हमारे जीवन से जुड़ा होता है। जिसके लिए सुनने की जरूरत कम होती है समझने की ज्यादा। केरियर क्या होता है? जीवन चलाने के लिए पैसा चाहिए वह पैसा प्राप्त करने के लिए लंबे समय तक काम करना पड़ता है अर्थात काम पैसा कमाने का जरिया है युवावस्था में हम जो भी कार्य चुनते हैं या करते हैं उससे हमारा पूरा जीवन यापन होता है चाहे उसमें वृद्धावस्था ही क्यों न हो। कैरियर के लिए नौकरी बिजनेस कर दिया कोई विशेष गुण के आधार पर भी कैरियर बनाया जा सकता है जैसे खिलाड़ी बनना चाहे क्रिकेट का या फुटबॉल आदि का यदि कैरियर के बिना जीवन चलाना है तो जीवन तो पशुओं का भी चलता है। लेकिन उसे अच्छा चलाने के लिए वह कौशल विकसित करने के लिए तथा सम्मानजनक जीवन जीने के लिए पैसा धन कमाना आवश्यक है। जिससे प्रतिष्ठा बढ़ती है। जहां तक संभव हो अपनी पसंद का होना चाहिए इस अपनी पसंद के केयर में विरोध भी सहना पड़ता है जो कि अभिभावकों की तरफ से होता है हमारे सामने समाज के अनेकों उदाहरण दिखाई देते हैं जो भी सफल हुआ उसे बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा। कैरियर के लिए सबसे पहले अपने ऊपर विश्वास होना चाहिए। साथ ही दृढ़ इच्छाशक्ति भी होनी चाहिए जिस कैरियर को चुनना हो उसके लिए हमें जानकारी व हमारी जिज्ञासा का होना एवं उससे प्रेम होना आवश्यक है। कैरियर को प्रभावित करने वाले कुछ तत्वों में जैसे अभिभावक वातावरण आर्थिक स्थिति का प्रभाव सबसे ज्यादा पड़ता है। कैरियर का चुनाव करते समय अपने पास ऑप्शंस रखने चाहिए और कैरियर काउंसलिंग में हमें अपने उन ऑप्शंस पर विशेषज्ञों से चर्चा भी करनी चाहिए। कैरियर के लिए आदर्श वाक्य यह होनी चाहिए कि मैं यह बनूंगा लेकिन मैं यह बनना चाहता हूं। कैरियर में अपना विकास करने के लिए व्यक्तित्व विकास एवं समाज की मानसिकता चिंताओं से स्वतंत्र होनी चाहिए। गोष्टी के अवसर पर प्रोफेसर धर्मेंद्र कुमार द्विवेदी, डॉ नितिन चौधरी, डॉ त्रिसुख सिंह, डॉ शरद कुमार भटनागर, प्रोफेसर पूर्णिमा सिंह, प्रोफेसर अर्चना सिंह, डॉ अनामिका सक्सेना, आदि प्राध्यापक उपस्थित रहे।