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लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही कांग्रेस पार्टी को छोड़ने में लगे है बरसो पुराने नेताओ का एक ही आरोप परिवार वाद से है प्रेशान एक ही परिवार को चाहिए सभी चुनाव के टिकट।
ब्यूरो रिपोर्ट:24 पब्लिक न्यूज़।
हरिद्वार।लोकसभा चुनाव का आगाज नामांकन के बाद हो गया है जिसमें 19 अप्रैल को प्रथम चरण का चुनाव होना है।वह कांग्रेस पार्टी की बात करे जो ताश के पत्तों की तरह बिखरती जा रही है और कांग्रेस के नेता आए दिन पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टिया ज्वाइन कर रहे है।और कांग्रेस पार्टी छोड़ने वाले सभी नेताओं का लगभग यही आरोप है कि हम परिवारवाद से प्रेशान आ चुके है।पार्टी सिर्फ एक ही परिवार को तवज्जे देती आ रही है जोकि कांग्रेस पार्टी की जड़े खोखली करने में लगा हुआ है।अब यह आरोप सीधा-सीधा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर लगता नजर आ रहा है क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ही अपने परिवार के किसी न किसी सदस्य को हर चुनाव में टिकट के दावेदार घोषित कर उसे टिकट दिला ही देते हैं।बाकी सभी पार्टी के नेता वर्षा तक कांग्रेस पार्टी के लिए मेहनत कर के भी खाली हाथ रह जाते है इसलिए कांग्रेस पार्टी के नेता पार्टी छोड़ना ही पसंद कर रहे हैं।वहीं कांग्रेस आला कमान भी इस बात पर कोई ध्यान नहीं दे रही की उत्तराखंड में परिवारवाद की वजह से जो पार्टी की दुर्दशा हो रही है वह लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा के चुनाव पर भी सीधा-सीधा असर डालेगी।क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को तो सिर्फ अपने परिवार को ही टिकट दिलाने का मकसद लगभग सभी चुनाव में रहता है। इसलिए पार्टी में भीतरघात भी समय-समय पर देखने को मिलता रहता है। उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी के नेता पहले ही दो धड़ो में बटे रहते हैं और दोनों गुट अपने गुट के व्यक्ति को टिकट दिलाने की कोशिश करते है और जब किसी एक गुट के प्रतियासी को टिकट हो जाता है तो फिर ठोस सूत्रो की माने तो दोनो गुटो के नेता एक दूसरे गुट के प्रतियासी को अंदरूनी तोर पर हराने में पूरा दम खम लगा देते है जिसके परिणाम रुड़की मेयर चुनाव में भी देखने को मिले थे।वही आपसी गुट बाजी ने ही कांग्रेस पार्टी को उत्तराखंड की सत्ता से बाहर किया था।बरहाल यह तो पार्टी के आला कमान को ही देखना होगा वह क्या करना है।अब जनता किस पार्टी पर अपना भरोसा जाता कर अपना सांसद चुनती है यह तो चुनावी नतीजो के बाद ही पता चलेगा।