![](https://24publicnews.com/wp-content/uploads/2021/06/IMG-20210619-WA0000-1024x475.jpg)
296 total views
आईआईटी रुड़की और आईएमयू विशाखापट्टनम ने विकसित किया ईंधन कुशल समुद्री परिवहन समाधान
ब्यूरो रिपोर्ट: 24 पब्लिक न्यूज़
रुड़की। वस्तुओं के परिवहन की लागत का महत्वपूर्ण प्रभाव बुनियादी ढांचे के विकास, औद्योगिक विस्तार और व्यवसाय के विकास पर पड़ता है। यद्यपि उच्च गति और लंबी दूरी के डिलीवरी ट्रकों की मांग बढ़ रही है, तथापि सड़क मार्ग से लंबी दूरी पर बड़ी मात्रा में माल का परिवहन निकट भविष्य में बहुत चुनौतीपूर्ण सिद्ध हो सकता है। जहां एक मालगाड़ी एक सौ ट्रकों के बराबर वजन का परिवहन कर सकती है, वहीँ एक जहाज एक बार में एक हजार ट्रकों के माल का परिवहन कर सकता है। अतः, घरेलू समुद्री मार्ग परिवहन सड़क परिवहन के लागत-कुशल विकल्प के रूप में उभरता है। बढे समुद्री यातायात को देखते हुए और भविष्य के समुद्री व्यापार को सुविधाजनक बनाने हेतु भारत की व्यापक तटरेखा पर अनेक समुद्र-पत्तनों के विकास और वर्तमान पत्तनों के विस्तार का कार्य चल रहा है। इस तरह के बढ़ते समुद्री-पत्तन बुनियादी ढांचे को प्रभावी संचालन और प्रशासन के लिए वर्धित लघु-सहनशक्ति समुद्री जहाजों [शार्ट एंड्योरेंस मरीन वेसल्स (एसईएमवी)] की आवश्यकता होती है। एक सामान्य डीजल-इंजन चालित एसईएमवी का उपयोगी जीवन (यूज़ेबल लाइफ ) लगभग 20 वर्ष होता है, जिसके बाद इसे निष्क्रिय कर दिया जाता है। अपने उपयोगी जीवन के दौरान, जहाज को महंगी परिचालन लागत के साथ नियमित रखरखाव की आवश्यकता होती है, और उसमे से हानिकारक कार्बन उत्सर्जन जारी करता है। भारतीय समुद्र-पत्तनों पर स्थायी पर्यावरण-अनुकूल समाधान विकसित करने और कार्बन पदचिह्न को कम करने के लिए डीजल-इंजन से चलने वाले समुद्री जहाजों को शून्य-उत्सर्जन वाले विद्युत जहाजों से बदला जाना चाहिए।
जल संसाधन विकास और प्रबंधन विभाग (आईआईटी रुड़की) और भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय [विशाखापत्तनम (आईएमयू-वी)] के हाइड्रोपावर सिमुलेशन प्रयोगशाला (एचएसएल) के संयुक्त अनुसंधान प्रयास ने पर्यावरण-अनुकूल और कम ईंधन और लागत वाले कुशल समुद्री परिवहन समाधान खोजने का प्रयास किया था। शोध को पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित किया गया था। शोध हेतु विशाखापत्तनम पोर्ट ट्रस्ट ने विभिन्न प्रकार के समुद्री जहाजों, उनके परिचालन कार्यक्रम और अपेक्षित डिजाइन व्यवहार्यता से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। इस संयुक्त शोध में एचएसएल शोधकर्ताओं ने टगबोट्स के बिजली स्रोतों (डीजल-इंजन से चलने वाले इंडक्शन जेनरेटर और बैटरी) के कार्य-तंत्र को समायोजित किया ताकि ईंधन की न्यूनतम संभव मात्रा की खपत करते हुए लोड आवश्यकता को पूरा किया जा सके। टगबोट्स में परिवर्तनीय-गति बिजली-उत्पादन-इकाइयों (वेरिएबल स्पीड पावर जनरेटिंग यूनिट्स) का उपयोग किया गया था। ऐसी इकाइयां परिवर्तनशील रोटर गति पर काम कर सकती हैं; इस तरह की परिवर्तनशील-गति-प्रणाली, स्थिर-गति-प्रणाली (जहां रोटर की गति लगभग स्थिर होती है) की तुलना में बिजली उत्पादन तंत्र को अतिरिक्त स्वतंत्रता प्रदान करती है । रीयल-टाइम टगबोट ऑपरेशनल साइकिल के लिए स्टेट मशीन कंट्रोल अल्गोरिथम आधारित एक समन्वित कंट्रोल स्ट्रेटेजी को भी लगाया गया था। इस प्रकार, शोधकर्ताओं ने डीजल-इलेक्ट्रिक टगबोट्स की ईंधन दक्षता में सफलतापूर्वक सुधार किया; पारंपरिक डीजल-यांत्रिक टगबोट प्रणोदन (प्रोपल्शन) प्रणाली की तुलना में उपरोक्त विधियों द्वारा प्राप्त ईंधन बचत क्रमशः 29.86% और 26.42% थी।
आईएमयू-वी के सहयोग से एचएसएल ऐब्सोल्यूट बैटरी ऑपरेटेड एसईएमवी डिज़ाइन और उच्च-दक्षता दोष-सहिष्णु समुद्री इलेक्ट्रिक पावरट्रेन (हाई-एफिशिएंसी फॉल्ट-टोलेरंट मरीन इलेक्ट्रिक पॉवरट्रेन ) की दिशा में भी काम कर रहा है। यह अनुमान है कि बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वैश्विक बाजार के विस्तार से साथ, लंबे जीवन-चक्र (लगभग एसईएमवी का डीकमिशनिंग जीवन) और बेहतर शक्ति और ऊर्जा-घनत्व वाली लिथियम-आयन बैटरी का व्यापक प्रसार होगा और एचएसएल के चल रहे शोध परिणामों और अनुभव की मदद से पूर्ण बैटरी-संचालित एसईएमवी (एबसोल्यूट बैटरी ऑपरेटेड एसईएमवी) का व्यावसायीकरण हो जाएगा। प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी, निदेशक, आईआईटी रुड़की, ने कहा “आईआईटी रुड़की और आईएमयू विशाखापत्तनम द्वारा शॉर्ट-एन्ड्योरेंस मरीन वेसल्स के डिजाइन और प्रयोगात्मक सत्यापन (एक्सपेरिमेंटल वेलिडेशन) पर इस संयुक्त शोध ने आशाजनक परिणाम दिखाए हैं। हम इस प्रयास को और सुदृढ़ करना चाहते हैं ताकि यह हमारे समुद्री उद्योग को सशक्त बना सके। श्री थंगा राज चेलिया, प्रभारी संकाय, हाइड्रोपावर सिमुलेशन लैब, जल संसाधन विकास और प्रबंधन विभाग, ने अनुसंधान प्रयास के बारे में बात की, “पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार के उदार वित्तीय सहायता और विशाखापत्तनम पोर्ट ट्रस्ट की मदद से, एचएसएल और आईएमयू-वी के संयुक्त अनुसंधान प्रयास ने ईंधन-कुशल समुद्री परिवहन समाधान की उपलब्धि हासिल की है। अनुसंधान में उपयोग की जाने वाली कार्यप्रणाली ने महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त किए, जिससे 29.86% तक ईंधन की बचत हुई। यह प्रयास सिद्ध करता है कि उच्च गुणवत्ता वाला शोध आधुनिक, प्रभावी, कुशल और पर्यावरण-अनुकूल व्यावसायिक समाधान प्रस्तुत कर सकता है। एचएसएल में पीएचडी के छात्र श्री विद्यासागर तुम्माकुरी लिथियम-आयन बैटरी, बैटरी प्रबंधन प्रणाली, चार्जिंग पोर्टफोलियो के चयन के मानदंड और भारतीय पत्तनों पर वायरलेस चार्जिंग की प्रयोज्यता के विस्तार के संभावित स्तर पर अध्ययन करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आईआईटी रुड़की और आईएमयू-वी के बीच सहयोग जारी रहेगा ताकि दोनों संस्थान राष्ट्र के विकास में योगदान बनाए रख सकें”।