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उत्तराखण्ड लेखपाल संघ शाखा जनपद हरिद्वार की एक बैठक हुई,जिसमे ज्वालापुर शत्रु संपत्ति खुर्द बुर्द करने के मामले में लेखपालों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की चेतावनी दी।
ब्यूरो रिपोर्ट: 24 पब्लिक न्यूज़।
हरिद्वार।उत्तराखण्ड लेखपाल संघ शाखा जनपद हरिद्वार की एक बैठक दिनांक 20.12.2023 को तहसील हरिद्वार स्थित सभागार में की गई।लेखपाल संघ की बैठक में सर्वसम्मति से कई प्रस्ताव पारित किए गए।वही ज्वालापुर की शत्रु संपत्ति खुर्द बुर्द करने के मामले में लेखपालों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की कड़े शब्दों में चेतावनी दी गई।वही लेखपाल संघ के महामंत्री अनुज यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि सतर्कता अधिष्ठान देहरादून द्वारा हरिद्वार ज्वालापुर स्थित भारत सरकार की भूमि (शत्रु सम्पत्ति) को खुर्द-बुर्द कर कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से विक्रय किये जाने के सम्बन्ध में कतिपय राजस्व उप निरीक्षकों के विरूद्ध सतर्कता सैक्टर देहरादून में अभियोग पंजीकृत किया गया है। उक्त के कारण संघ के सदस्यों में भारी रोष व्याप्त है। सतर्कता विभाग में कार्यरत पुलिस अधिकारी कर्मचारी जिन्हें भूमि से सम्बन्धित नियम / अधिनियमों की जानकारी ही नहीं होती है, उनके द्वारा बिना जानकारी के ही राजस्व उप निरीक्षकों के विरूद्ध अभियोग पंजीकृत कर दिया गया है जोकि न्यायोचित नहीं है।उक्त प्रकरण में राजस्व उप निरीक्षकों के द्वारा कोई फर्जी दस्तावेज तैयार नहीं किये गये बल्कि राजस्व उप निरीक्षकों के द्वारा कई व्यक्तियों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करवायी गयी है। किसी खातेदार की विरासत अंकित करना एवं खातों का विभाजन किया जाना उ०प्र० जमींदारी विनाश अधिनियम में दी गयी व्यवस्थाओं के अन्तर्गत किया जाता है एवं यदि कोई पक्षकार उक्त से क्षुब्ध हो तो उक्त के विरूद्ध सम्बन्धित पक्षकारों को जमींदारी विनाश अधिनियम की सुसंगत धाराओं में नियमानुसार राजस्व न्यायालयों में अपील करने का अधिकार प्राप्त है। उ0प्र0 जमींदारी विनाश अधिनियम 1950 की धारा 334 (1) व 334 (2) में यह व्यवस्था दी गयी है कि उक्त अधिनियम के अधीन कर्तव्यों के पालन में किये गये कार्य के सम्बन्ध में सरकारी सेवक पर कोई दीवानी या फौजदारी कार्यवाही अथवा वाद या दूसरी कोई कार्यवाही न चल सकेगी। उक्त वर्णित व्यवस्था के बाद भी राजस्व उप निरीक्षकों / राजस्व निरीक्षकों / राजस्व कार्मिकों के विरूद्ध सतर्कता विभाग द्वारा अभियोग पंजीकृत किया गया है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। भूमि सम्बन्धित विवादों के निस्तारण हेतु मण्डल स्तर पर लैण्ड फॉड कमेटी गठित की गयी है, किन्तु अधिकांश प्रकरणों में जांच लैण्ड फॉड कमेटी से नहीं बल्कि सतर्कता विभाग को सौंपी जा रही है। उत्तराखण्ड सरकार के द्वारा सतर्कता विभाग / पुलिस विभाग को असीम शक्तियाँ प्रदान कर दी गयी है जिससे वर्तमान में सतर्कता विभाग / पुलिस विभाग निरंकुश हो चुका है। भूमि सम्बन्धित विवादों की जांच हेतु सतर्कता विभाग एवं एस०आई०टी० में राजस्व विभाग के अधिकारियों को सम्मिलित किया जाना अत्यन्त आवश्यक है अन्यथा सतर्कता विभाग / एस०आई०टी० जिसमें पुलिस की अधिकारी / कर्मचारी ही तैनात किये जाते हैं, के द्वारा इस प्रकार की झूठी कार्यवाही की जाती रहेगी। ऐसा नहीं है कि सतर्कता विभाग / पुलिस विभाग अपने आप में दूध का धुला है एवं उक्त विभागों में कोई भ्रष्टाचार व्याप्त नहीं है, किन्तु सतर्कता विभाग / पुलिस विभाग के अधिकारी / कर्मचारी स्वयं अपने विभाग के अधिकारी / कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही क्यों करेंगे और सतर्कता विभाग / पुलिस विभाग के विरूद्ध कोई जांच एजेन्सी उत्तराखण्ड में बनायी ही नहीं गयी है, तो इनके विरूद्ध कार्यवाही का प्रश्न ही नहीं बनता।उत्तराखण्ड प्रदेश में लम्बे समय से एक सशक्त लोकायुक्त की मांग की जाती रही है किन्तु सरकार के द्वारा उक्त के सम्बन्ध में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है क्योंकि सतर्कता / पुलिस विभाग के चाटुकार अधिकारी / कर्मचारी सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश के नारे को निर्दोष कर्मचारियों को झूठे मुकदमों में फंसाकर साकार कर सरकार के द्वारा दिये गये लक्ष्य को पूर्ण कर रहे हैं। प्रकरण में सतर्कता विभाग के द्वारा निर्दोष लेखपालों को झूठे मुकदमों में फंसाया जा रहा है।अतः सतर्कता विभाग द्वारा लेखपालों के विरूद्ध पंजीकृत उक्त मुकदमे को तत्काल वापस लिया जाये, अन्यथा उत्तराखण्ड लेखपाल संघ को अग्रिम कठोर निर्णय लेने को बाध्य होना पड़ेगा जिसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व सतर्कता विभाग / शासन / उत्तराखण्ड सरकार का होगा।2. इसी प्रकार का एक झूठा मुकदमा मंगलौर थाना पुलिस के द्वारा ग्राम जटहेडी परगना मंगलौर में एक निर्विवाद उत्तराधिकार सम्बन्धित प्रकरण में राजस्व उप निरीक्षक श्री राहुल चौहान तहसील रूडकी के विरूद्ध मुकदमा पंजीकृत किया गया है। उक्त के सम्बन्ध में अवगत कराना है कि श्री राहुल चौहान कभी भी राजस्व ग्राम जटहेडी में तैनात नहीं रहे हैं ऐसी दशा में इनके द्वारा उक्त ग्राम में निर्विवाद उत्तराधिकार सम्बन्धित कार्य किये जाने का प्रश्न ही नहीं बनता। मंगलौर पुलिस द्वारा श्री चौहान को जानबूझकर सारे तथ्यों को जानने के बावजूद भी झूठे मुकदमें में फंसाया जा रहा है जबकि श्री चौहान का कोई दोष उक्त प्रकरण में नहीं है।अतः राहुल चौहान के विरूद्ध थाना मंगलौर में पंजीकृत झूठा मुकदमा तत्काल वापस लिया जाये अन्यथा संघ को आन्दोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा जिसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व मंगलौर पुलिस का होगा।में अनावश्यक 3. एक तरफ तो सरकार की मंशा भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाने हेतु 1064 हैल्पलाईन जारी कर जनता को जागरूक करने एवं वी०आई०पी० कल्चर को समाप्त करने की है। जिसकी तर्ज पर सभी वी०आई०पी० महानुभावों / अधिकारियों द्वारा अपनी-अपनी गाडियों से लाल / नीली बत्ती एवं कई तरह की सुविधाओं का परित्याग कर दिया गया है। किन्तु अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है कि जनपद हरिद्वार रूप से राजस्व निरीक्षक / राजस्व उप निरीक्षकों को वी०आई०पी०महानुभावों / अधिकारियों की विभिन्न व्यवस्थाओं हेतु बाध्य किया जा रहा है एवं अक्सर ऐसे महानुभावों / अधिकारियों के रिश्तेदारों एवं परिचितों को भी वी०आई०पी० सुविधायें प्रदान करते हुए राजस्व निरीक्षक / राजस्व उप निरीक्षकों को उनकी सेवा में तैनात कर दिया जाता है, जिससे शासकीय एवं जनता की कार्यों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है एवं ऐसा कहना भी गलत नहीं होग कि उक्त वी०आई०पी० ड्यूटी में राजस्व निरीक्षक / राजस्व उप निरीक्षकों की तैनाती कर विभिन व्यवस्थाओं हेतु बाध्य करने से भ्रष्टाचार का बढावा दिया जा रहा है क्योंकि यह अटल सत्य है कि कोई भी कार्मिक अपनी मेहनत के वेतन से किसी वी०आई०पी० महानुभाव / अधिकारी की सेवा नहीं करेगा।अतः संघ का कोई भी सदस्य वी०आई०पी० ड्यूटी नहीं करेगा और न ही वी०आई०पी० ड्यूटी में किसी प्रकार की कोई व्यवस्था करवायेगा।4. जनपद हरिद्वार में अवैध खनन का कारोबार हमेशा से सुर्ख़ियों में रहा है एवं खनन कारोबारियों को उच्च स्तर से संरक्षण प्राप्त होने सम्बन्धित खबरें भी आय दिन समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रहती हैं। जनपद में अवैध खनन के विरूद्ध छापेमारी की कार्यवाही किये जाने हेतु पृथक से भू-तत्व एवं खनिकर्म इकाई स्थापित है किन्तु फिर भी राजस्व निरीक्षकों / राजस्व उप निरीक्षकों को अवैध खनन के विरूद्ध छापेमारी की कार्यवाही हेतु बाध्य किया जा रहा है जबकि उप खनिज परिहार नियमावली में राजस्व निरीक्षक / राजस्व उप निरीक्षक को अवैध खनन के विरूद्ध कोई कार्यवाही किये जाने का अधिकार प्राप्त नहीं है और ना ही राजस्व निरीक्षक / राजस्व उप निरीक्षक को छापेमारी के दौरान कोई सुरक्षा प्रदान की जाती है। पूर्व में जनपद में कई घटनायें ऐसी घटित हो चुकी हैं जिसमें खनन माफियाओं द्वारा राजस्व निरीक्षक / राजस्व उप निरीक्षकों के साथ अभद्र व्यवहार एवं मारपीट तक की जा चुकी है। अवैध खनन का कारोबार ऐसी कोयले की खदान है जहाँ भ्रष्टाचार की कालिख आय-दिन अधिकारी / कर्मचारियों पर लगती रहती है। अवैध खनन कारोबारियों की उच्च स्तर के साथ पकड़ होने के कारण एवं उच्च स्तर से मौखिक निर्देशों के कारण भी कई बार कार्यवाही रोकनी पड़ जाती है एवं बदनामी राजस्व विभाग / निम्न स्तर की कार्मिकों की होती है।अतः संघ का कोई भी सदस्य अवैध खनन के विरूद्ध छापेमारी की कार्यवाही में प्रतिभाग नहीं करेगा।5. जनपद हरिद्वार में राजस्व निरीक्षक / राजस्व उप निरीक्षकों को अन्य विभागों की भूमि पर हुए अतिक्रमण के सम्बन्ध में आख्या उपलब्ध कराये जाने एवं उक्त अतिक्रमण को चिन्हित करते हुए अतिक्रमण हटाये जाने हेतु निर्देशित किया जा रहा है जो कि उचित नहीं है क्योंकि यह कार्य सम्बन्धित विभाग के अधिकारी / कर्मचारियों का है। अतः संघ का कोई भी सदस्य अन्य विभागों की भूमि पर हुए अतिक्रमण की सूचना / आख्या एवं अतिक्रमण हटाये जाने की कार्यवाही नहीं करेगा।इस मौके पर संघ के जिलाध्यक्ष देवेश घिल्डियाल, महामंत्री अनुज यादव, सुषाष चौहान, राजेश गौतम, मनीष गुप्ता, रविकांत, सुभाष जैमिनी आदि मौजूद रहे।